श्री शिव महिम्न स्तोत्र पुष्पदंत ने शिव निर्माल्य ( बिलीपत्र) के ऊपर चलने से दोषयुक्त होकर वही खड़ा रहा तब महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनके गुणगान गाये और शिवजी ने प्रसन्न होकर उनको श्रापमुक्त किया और वरदान दिया की ये स्तोत्र के पाठ जो कोई करेगा तो वह मेरी कृपा योग्य होकर सर्व सुखो को प्राप्त करेगा। इसलिए यह स्तोत्र सर्व स्तोत्र में सर्वोत्तम माना गया है। और इस स्तोत्र के पठन से जातक सर्व सुख प्राप्त करता है और शिवलोक में वास करता है
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शिव की बड़ी सुंदर स्तुति का वर्णन आया है। इसे शिव महिम्न स्त्रोत के नाम से जाना जाता है। शिव महिम्न स्त्रोत का पाठ करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। पापों का नाश होता है। मन निर्मल हो जाता है ।
शिव भक्तों का प्रिय मंत्र है। ४३ छंदों के इस स्तोत्र में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है। इस स्तुति को गाकर पुष्पदंत ने शिव जी को प्रसन्न किया था। और अपनी खोई हुई दिव्य शक्तियों को प्राप्त किया था।
इसका पाठ करने वाला अपने संचित पापों से मुक्ति पाता है ।
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